The 2-Minute Rule for सूर्य पुत्र कर्ण के बारे में रोचक तथ्य

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सूर्य में हैड्रोजन हीलियम गैस पायी जाती है 

एक दिन कुंती ने उत्सुकता वंश कुआरेपन से ही सूर्य देव का ध्यान किया. उससे सूर्यदेव प्रकट होकर उसे एक पुत्र दिया जो सूर्य के समान ही तेजस्वी था और कवच तथा कुंडल लेकर उत्पन्न हुआ था.

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इस वरदान की उत्सुकता को कुंती ज्यादा दिन रोक नहीं सकी और विवाह से पहले सूर्य देव को स्मरण कर एक पुत्र की उत्पति की जो सूर्य के समान तेज था और कवच और कुंडल पहने हुए था

कर्ण कभी भी शकुनी की पाण्डवों को छ्ल-कपट से हराने की योजनाओं से सहमत नहीं था। वह सदा ही युद्ध के पक्ष में था और सदैव ही दुर्योधन से युद्ध का ही मार्ग चुनने का आग्रह करता। यद्यपि वह दुर्योधन को प्रसन्न करने के लिए द्यूतक्रीड़ा के खेल में सम्मिलित हुआ, जो बाद में कुख्यात द्रौपदी चीर हरण की घटना में फलीभूत हुआ।

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सूर्य आज सबसे अधिक स्थिर अवस्था में अपने जीवन के करीबन आधे रास्ते पर है। इसमें कई अरब वर्षों से नाटकीय रूप से कोई बदलाव नहीं हुआ है,  और आगामी कई वर्षों तक यूँ ही अपरिवर्तित बना रहेगा। हालांकि, एक स्थिर हाइड्रोजन-दहन काल के पहले का और बाद का तारा बिलकुल अलग होता है।[तथ्य वांछित]

लेकिन कर्ण गुरु परशुराम के श्राप के कारण ब्रह्मास्त्र चलाना भूल गया था, नहीं तो वह युद्ध में अर्जुन का वध करने के लिए अवश्य ही अपना ब्रह्मास्त्र चलाता और अर्जुन भी अपने बचाव के लिए अपना ब्रह्मास्त्र चलाता और पूरी पृथ्वी का विनाश हो जाता। इस प्रकार गुरु परशुराम ने कर्ण को श्राप देकर पृथ्वी का विनाश टाल दिया।

कर्ण के दो दाँत सोने के थे। उन्होंने निकट पड़े पत्थर से उन्हें तोड़ा और बोले-'ब्राह्मण देव!

१२. द्रौपदी का अपमान करना। द्रौपदी को वैश्या कहाना

कृष्ण जानते थे कि कर्ण प्रतिदिन लोगों को दान किया करते थे. कर्ण प्रतिदिन की तरह सभी को कुछ न कुछ दान दे रहे थे. पक्ंित में वेश बदलकर खड़े इंद्र की जब बारी आई तो कर्ण ने उनसे पूछा आपको क्या वास्तु चाहिए. अपनी इच्छा प्रकट करो.

महाभारत काल में वे कर्ण नाम से प्रसिद्ध हुए, जिसका अर्थ सूर्य पुत्र कर्ण के बारे में रोचक तथ्य हैं – अपनी स्वयं की देह अथवा कवच को भेदने वाला.

सारथी अधिरथ द्वार कर्ण को पुत्र रूप में पालना :

इसी कारण कर्ण को राधेय कहा जाता है. महाबलि कर्ण ने दुर्योधन से मित्रता का निर्वहन अपने प्राणों की अंतिम श्वास तक किया.

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